सकारात्मक उर्जा और नकारात्मक उर्जा
पृथ्वी में एक अद्रश्य शक्ति विद्यमान है ,जिसे आधुनिक विज्ञान में हम गुरुत्वाकर्षण और विधुत चुम्बकीय बलों के रूप में जानते है और हम इनके अनेक उपयोगो से परिचित है |
इस अद्रश्य शक्ति के कारण उर्जा सदैव सभी जगह काल्पनिक बल रेखाओ के रुपमे प्रवाहित होती है | हमारे देश में "प्राण उर्जा" कहते है ,चीन में "ची उर्जा "कहते है ,जापानमें "रेकी "के नाम से जाना जाता है | पृथ्वी पर सभी जगह और वस्तुओ और प्राणियों के शरीर में प्राण उर्जा का प्रवाह विशिष्ट स्थितियों और परिस्थितियो और विशिष्ट दिशाओ में होता है | अतः सभी जिव और निर्जीव पदार्थो के साथ प्राण उर्जा सम्बन्धित रहती है | इस भौतिक जगत के हर मानव के अंदर प्राण उर्जा प्रवाहित होती है | यह एक तरह की आद्यात्मिक शक्ति है ,जिसका हमारी जिन्दगी पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है | समस्त सजीव प्राणियों में रहने वाली ब्रमांडइय उर्जा को प्राण उर्जा कहते है तथा अनेक तरीको से उत्पन्न किया जा शकता है | मंथर गति से प्रवाहित होने वाला जल प्रचुर रूप से प्राण उर्जा उपलब्ध कराता है | यही कारण है की जिल ,नदी,तलब या फव्वारे के पास कुछ समय गुजारने पर हम स्वयम को स्फूर्ति मय अनुभव करते है | इसी प्रकार धीमी बहती वायु प्राण उर्जा को लाती है ,जबकि इसके विपरीत तेज हवाए प्राण उर्जा को अपने साथ बहा कर ले जाती है ,ठीक वैसे ही जैसे मुसलधार वर्षा अपने साथ उसे बहा ले जाती है | प्राण उर्जा ले जाने के साथ साथ हमारा सौभाग्य भी चला जाता है |
प्रकृति तो प्राय: हर वक्त प्राण उर्जा उत्पन्न करती रहती है सौन्दर्यपूर्ण वातावरण जैसे की भव्य पर्वत -चोटिया और हरे भरे मैदान भी रचना करते है या उसे बडाते है | प्राण उर्जा का संक्षिप्त वर्णन निर्मल जल ,अच्छी पहाड़िया,सुंदर धुप ,मंद हवा और नमो में स्थित नवीं प्रकाश इन सभी मे प्राण उर्जा रहती है | इस संगती में नेत्र खुल जाते है बैठने का या लेटने का आनन्द मिलता है यह प्राण उर्जा एकत्रित होकर सुगंध में जमा होती है | मद्यय में प्रकाश जिल्मिलाता और प्रत्येक दिशामे चमत्कार फैलता है | यह प्राण उढ़ा सुस्त और सड भी जाती है | एक नकारात्मक तालाब नकारात्मक प्राण उर्जा की रचना करता है जिससे सौभाग्य भी नष्ट हो जाता है |
नकारात्मक उर्जा हमारे शरीर में विकार लाती है जिसके कारण हमे औषधिका सहारा लेना पड़ता है तथा भोजन में परिवर्तन करना पड़ता है | इसी तरह सकारात्मक उर्जा और न्करात्मका उर्जा का असंतुलन हमारे शरीर के बाहर तथा वातावरण में बैचेनी लाता है जो हमे प्रतीत नही होती परन्तु मनमे उसे तब महसूस करते है ,जब शरीर के शक्ति चक्र में बाधा आती है| अत: अपनी जीवन शक्ति को बढ़ाने के उद्देश्य से हमें अपने घर में ज्यादा से ज्यादा सकारात्मक उर्जा को बढ़ावा देना चाहिए |
पृथ्वी में एक अद्रश्य शक्ति विद्यमान है ,जिसे आधुनिक विज्ञान में हम गुरुत्वाकर्षण और विधुत चुम्बकीय बलों के रूप में जानते है और हम इनके अनेक उपयोगो से परिचित है |
इस अद्रश्य शक्ति के कारण उर्जा सदैव सभी जगह काल्पनिक बल रेखाओ के रुपमे प्रवाहित होती है | हमारे देश में "प्राण उर्जा" कहते है ,चीन में "ची उर्जा "कहते है ,जापानमें "रेकी "के नाम से जाना जाता है | पृथ्वी पर सभी जगह और वस्तुओ और प्राणियों के शरीर में प्राण उर्जा का प्रवाह विशिष्ट स्थितियों और परिस्थितियो और विशिष्ट दिशाओ में होता है | अतः सभी जिव और निर्जीव पदार्थो के साथ प्राण उर्जा सम्बन्धित रहती है | इस भौतिक जगत के हर मानव के अंदर प्राण उर्जा प्रवाहित होती है | यह एक तरह की आद्यात्मिक शक्ति है ,जिसका हमारी जिन्दगी पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है | समस्त सजीव प्राणियों में रहने वाली ब्रमांडइय उर्जा को प्राण उर्जा कहते है तथा अनेक तरीको से उत्पन्न किया जा शकता है | मंथर गति से प्रवाहित होने वाला जल प्रचुर रूप से प्राण उर्जा उपलब्ध कराता है | यही कारण है की जिल ,नदी,तलब या फव्वारे के पास कुछ समय गुजारने पर हम स्वयम को स्फूर्ति मय अनुभव करते है | इसी प्रकार धीमी बहती वायु प्राण उर्जा को लाती है ,जबकि इसके विपरीत तेज हवाए प्राण उर्जा को अपने साथ बहा कर ले जाती है ,ठीक वैसे ही जैसे मुसलधार वर्षा अपने साथ उसे बहा ले जाती है | प्राण उर्जा ले जाने के साथ साथ हमारा सौभाग्य भी चला जाता है |
प्रकृति तो प्राय: हर वक्त प्राण उर्जा उत्पन्न करती रहती है सौन्दर्यपूर्ण वातावरण जैसे की भव्य पर्वत -चोटिया और हरे भरे मैदान भी रचना करते है या उसे बडाते है | प्राण उर्जा का संक्षिप्त वर्णन निर्मल जल ,अच्छी पहाड़िया,सुंदर धुप ,मंद हवा और नमो में स्थित नवीं प्रकाश इन सभी मे प्राण उर्जा रहती है | इस संगती में नेत्र खुल जाते है बैठने का या लेटने का आनन्द मिलता है यह प्राण उर्जा एकत्रित होकर सुगंध में जमा होती है | मद्यय में प्रकाश जिल्मिलाता और प्रत्येक दिशामे चमत्कार फैलता है | यह प्राण उढ़ा सुस्त और सड भी जाती है | एक नकारात्मक तालाब नकारात्मक प्राण उर्जा की रचना करता है जिससे सौभाग्य भी नष्ट हो जाता है |
नकारात्मक उर्जा हमारे शरीर में विकार लाती है जिसके कारण हमे औषधिका सहारा लेना पड़ता है तथा भोजन में परिवर्तन करना पड़ता है | इसी तरह सकारात्मक उर्जा और न्करात्मका उर्जा का असंतुलन हमारे शरीर के बाहर तथा वातावरण में बैचेनी लाता है जो हमे प्रतीत नही होती परन्तु मनमे उसे तब महसूस करते है ,जब शरीर के शक्ति चक्र में बाधा आती है| अत: अपनी जीवन शक्ति को बढ़ाने के उद्देश्य से हमें अपने घर में ज्यादा से ज्यादा सकारात्मक उर्जा को बढ़ावा देना चाहिए |
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