Saturday 1 December 2012

CHAMPAKLAL GURU

                  मृत्यु के बाद क्या होता है?
 भिन्न भिन्न  धर्म के तहत मृत्यु के बाद जीवन के संबंध में महत्वपूर्ण परिमाण में धारणाएं है। कुछ लोगों की धारणा है कि एक व्यक्ति अंतिम निर्णय तक सुप्तावस्था में रहता है और उसके बाद स्वर्ग अथवा नरक में भेजा जाता है। जबकि अन्य लोगों इस मत को समर्थन देते हैं कि मृत्यु के तुरंत पश्चात ही निर्णय लेकर उक्त व्यक्ति को शाश्वत गंतव्य पर भेज दिया जाता है। इसके अलावा भी कुछ और लोगों का दावा है कि लोग जब मरते हैं तो उनकी आत्मा को पुनर्जीवन की प्रतीक्षा के लिए अस्थायी स्वर्ग अथवा नरक में भेज दिया जाता है, फिर उसके बाद अंतिम निर्णय के बाद शाश्वत गंतव्य को निर्णीत किया जाता है। क्या  मृत्यु के पश्चात इसी सत्य को उद्घाटित करता है।

प्रथम, भगवान शिव के भक्तो को  मृत्यु के पश्चात भक्त  के आत्मा या ब्रह्म को स्वर्ग में ले जाया जाता है, क्योंकि उनके पापों को भगवान शिव  के भक्त को रक्षक के रूप में प्राप्त करने से माफ कर दिया जाता है। भगवान शिव के भक्त  के लिए मृत्यु शरीर को छोड़कर ईश्वर के घर जाने की प्रक्रिया माना जाता है।  भगवान शिव के अनुयायी की आत्मा को फिर से पुर्नजीवित कर गौरवपूर्ण अंग प्रदान किया जाता है। अगर अनुयायी मृत्यु के उपरान्त तुरंत भगवान् शिव  के पास चला आता है तो पुर्नजीवन का क्या अर्थ है? ऐसा प्रतीत होता है कि जब मृत्यु के तुरंत पश्चात भगवान शिव  के पास चला जाता है, भौतिक शरीर को अग्नि देव को समर्पित करने के बाद .१३ दिन के भगवान शिव के भक्त  के पुर्नजन्म होने पर भौतिक शरीर को पुर्नजीवित, महिमामंडित तथा पूर्ण किया जाता है और फिर उसे आत्मा के साथ एकीकृत कर दिया जाता है। ये संयुक्त तथा महिमामंडित शरीर आत्मा तथा ब्रह्म अनुयायिओं के लिए नये स्वर्ग तथा नयी पृथ्वी पर शाश्वत निवास स्थान होगा।

द्वितीय उनके लिए जो भगवान् शिव  को रक्षक के रूप में नहीं स्वीकार करते है, उनको मृत्यु के पश्चात अनंत दण्ड भोगना पड़ता है। हालंकि भगवान् शिव के भक्त की तरह ही उन्हे भी मृत्यु के पश्चात किसी अस्थायी स्थान पर उनके पुर्नजीवन, निर्णय तथा शाश्वत जीवन की निर्णय के लिए प्रतीक्षा करना पड़ता है।  एक समृद्ध व्यक्ति के मृत्यु के पश्चात  बहुत  दंड मिलता है ।सारे अविश्वासियों को मृत्यु के पश्चात पुर्नजीवित कर भगवान शिव के  फैसले के द्वारा नरक की आग में फेके  जाते है । अविश्वासियों को उसके बाद मृत्यु के तुरंत बाद नर्क में भेज दिया जाता है। किन्तु अपेक्षातया अस्थायी निर्णय तथा तिरस्कार के तौर भेजा जाता है। हालंकि अविश्वासियों को तुरंत नरक की आग में नहीं जाता किन्तु मृत्यु के तुरंत बाद उनकी स्थिति बहुत अच्छी नहीं होती है। समृद्ध मनुष्य दर्द से चिल्लाता है ‘मैं इस आग में तड़प रहा हूँ’
इसिलिए मृत्यु के पश्चात अनुयायी तथा अविश्वासियों दोनों के लिए एक व्यक्ति अस्थायी स्वर्ग अथवा नर्क में मौजूद रहता है। इस अस्थायी क्षेत्र के पश्चात, अपने निर्णीत पुर्नजीवन के बाद लोगों की भाग्य में कोई परिवर्तन नहीं होगा। मात्र अनंत स्थिति में परिवर्तन होता है। मृत्यु के पश्चात, अनुयायिओ को नये स्वर्ग अथवा नयी पृथ्वी पर प्रवेश की अनुमति मिलता है। अविश्वासियों को मृत्यु के पश्चात नर्क की आग में जलने के लिए भेज दिया जाता है। ये सभी लोगों का अंतिम गंतव्य होता है, चाहे वे भगवान शिव पर मुक्ति के लिए विश्वास करते हों या नहीं।

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